दिल्ली
दिल्ली एनसीआर में 10 15 साल पुरानी डीजल और पेट्रोल की गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाया हुआ है, जिसके चलते तमाम वाहन उपभोक्ताओं की गाड़ियों को उनके घरों के बाहर से पार्किंग से स्क्रेपिंग कंपनियां, नगर निगम और पुलिस की मदद से उठा रहे हैं और कबाड़ बनवाने पर मजबूर कर रहे हैं। सरकारी संस्थानों का हवाला देते हुए तमाम एजेंसियां कहती है कि एनजीटी और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश है जिसके चलते हम यह कर रहे हैं।
इसका विरोध अधिवक्ता मुकेश कुल्थिया कर रहे हैं वहीं मुकेश कुल्थिया का दावा है कि यह देश के सबसे बड़े घोटाले में से एक है। अधिवक्ता मुकेश कुल्थिया का साफतौर पर कहना है कि यह एक डिपार्टमेंटल आर्डर है कोई कानून नहीं। वही जो एजेंसी है वह एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का गलत हवाला देकर यह रोक गैर कानूनी क्रत हैं।
आपको बता दे अधिवक्ता मुकेश कुल्थिया ने न्यायालय के अंदर कटघरे में कई अधिकारियों को खड़ा कर दिया है। अधिवक्ता मुकेश कुल्थिया का कहना है कुछ निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए सारे महकमें मिलकर इस बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं।
मुकेश कुल्थिया का यह दावा है कि उन्होंने अपनी एक गाड़ी जो 15 वर्ष पुरानी थी उस गाड़ी का 5 साल अतिरिक्त एक्सटेंशन का अप्रूवल ले लिया है, जिसके लिए उन्हें दो से ढाई साल कोर्ट में लड़ना पड़ा। परंतु इससे देश में यह बड़ा स्कैम रुकेगा नहीं।
देश की कोई बड़ी मीडिया इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने को तैयार नहीं, न ही कोई विपक्षी राजनैतिक दल क्योंकि मुकेश मानते हैं कि हमाम से सभी नंगे हैं और भी कई गंभीर आरोप एडवोकेट मुकेश कुल्थिया ने लगाए।
अधिवक्ता का कहना है देश के अंदर खासतौर पर राजधानी दिल्ली के अंदर कई बड़े वकील बड़े जज कई अधिकारी मौजूद है परंतु कोई भी इस गैर कानूनी क्रत के खिलाफ आवाज उठाई की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है।