क्या भारत एक आजाद देश है? क्या भारत में उतनी ही आजादी बची है जितनी पहले थी?
क्या भारत में पहले की तुलना में आज भी उतनी ही आजादी है? यह सवाल भारत वासियों के सामने आ खड़ा हुआ है क्योंकि बीते कुछ वर्षों में जो घटनाएं घटित हुई हैं और जो फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट आई है उसके तहत भारत अब पूरी तरह आजाद देश ना होकर आंशिक रूप से आजाद देश है।
यह रिपोर्ट फ्रीडम हाउस से जारी हुई है जोकि एक अमेरिकी शोध संस्थान है। फ्रीडम हाउस प्रत्येक वर्ष विश्व के तमाम देशों के अंदर राजनीतिक स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों के स्तर पर उसकी समीक्षा कर रिपोर्ट जारी करता है। इस वर्ष की फ्रीडम हाउस रिपोर्ट के अंतर्गत भारत अब पूरी तरह स्वतंत्र नहीं बचा है।
इस रिपोर्ट में दो संकेत प्रयोग में लिए गए हैं, जिसमें एक राजनैतिक अधिकार और दूसरा नागरिक स्वतंत्रता है। समस्त विश्व के देशों को तीन भागों में बांटा गया है। जिसमें से प्रथम स्वतंत्र उसके बाद आंशिक रूप से स्वतंत्र और तीसरा स्वतंत्र नहीं श्रेणी में रखा गया है।
संस्थान द्वारा रिपोर्ट मे यह बताया गया है कि भारत ने अपने आप को पूर्ण स्वतंत्र देश के बजाय एक तानाशाही देश की तरह कई चीजों को अपना लिया है। 2014 मोदी जी के सत्ता में आने के बाद भारतीयों की आजादी और अधिकारों में आई कमियों के चलते संस्थान ने चिंता व्यक्त की है और भारत के प्रधानमंत्री और उनकी सरकार की आलोचना की है।
संस्थान का कहना है मानव अधिकारों का हनन बढ़ गया है, वही पत्रकारों पर भी दबाव बढ़ा दिया गया है। विशेष रूप से मुसलमानों को निशाना बनाकर उन पर कई हमले भी किए गए हैं।
आम लोगों को स्वतंत्रतापूर्वक और अपने विचारों को व्यक्त करने पर राजद्रोह जैसे मुकदमे दर्ज करवाए गए हैं। यहां तक कि अदालतों को भी स्वतंत्र नहीं कहा जा रहा है। जो सरकार के पक्ष में फैसला दे उस न्यायाधीश की तरक्की और जो न्यायधीश पक्ष में फैसला ना दे उसका तबादला देखने को मिल रहा है।
जनता पर पुलिस द्वारा बल प्रयोग करवाया जाने लगा है, भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की कोशिश में मुसलमानों को बलि का बकरा बनाया गया है। यहां तक कि कोरोना महामारी में भी कोरोना को फैलाने में मुसलमानों को दोषी बता दिया गया।
इन तमाम चीजों को देखते हुए फ्रीडम हाउस ने भारत को पूर्ण रूप से स्वतंत्र ना बताते हुए एक तानाशाही देश की ओर अग्रसर बताया है जैसे कि चीन। साथ ही यह भी कहा कि 2019 में दोबारा प्रधानमंत्री मोदी बनने के बाद इस तानाशाही में और तीव्रता आई है। विश्व में भारत की श्रेणी 71 हुआ करती थी जो कि घटकर 67 हो गई है।