अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस बड़े पैमाने पर विदेशों ही नहीं बल्कि हमारे देश भारत में भी मनाया गया। अंतर्राष्ट्रीय या फिर राष्ट्रीय यह जरूरी नहीं है महिला दिवस है यह जरूरी है। महिला सशक्तिकरण को लेकर तमाम राज्यों के नेता देश के प्रधानमंत्री अन्य संस्थाएं महिलाओं को सशक्त बनाने हेतु कई कार्यक्रम चला रही है।
राजधानी दिल्ली में दिल्ली पुलिस द्वारा भी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर कई स्कूलो व अन्य स्थानों पर महिलाओं को सशक्त बनाने एवं सुरक्षा हेतु कार्यों के बारे में बताया गया। व उत्तर प्रदेश के कई मदरसों तक में महिलाओं को उनके अधिकार और तालीम के चलते जागरूक किया गया।
कई कार्यक्रमों में यह कहां जाता है और बताया जाता है कि महिला उत्पीड़न मुक्ति व शोषण से राहत के लिए बड़े-बड़े कार्य प्रशासन द्वारा किए जा रहे हैं परंतु वही एक सच्चाई यह भी है कि देश के अंदर 88 महिलाएं प्रतिदिन बलात्कार का शिकार होती हैं। और यह वह आंकड़े हैं जो दर्ज करवाए जाते हैं न जाने ऐसे कितने मामले हैं जो दर्जी नहीं करवाए जाते होंगे।
इन आंकड़ों का ब्यौरा 7 अक्टूबर 2020 में द टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार में छपा था जिस के हवाले से यह आंकड़े साझा किए जा रहे हैं। परंतु मुद्दा यह है की देश और विदेश में इतना सब महिलाओं के लिए होने के बावजूद भारत के अंदर महिलाओं की स्थिति आज भी बहुत दीन और हीन पाई जाती है।
इन दो पहलुओं का जवाब आपको स्वयं ढूंढना है कि क्या उस देश में महिला दिवस मनाना चाहिए जिस देश में प्रतिदिन 88 महिलाओं का बलात्कार किया जाता हो? और प्रति वर्ष यह घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। इसको रोकने एवं कम करने के लिए कौन कितना प्रतिबंध है और क्या कदम उठाए हैं यह बता पाना बहुत मुश्किल है।