चिकित्सा संस्थानों के ओ.पी.डी मरीजों के लिए खोले गए। अस्पताल प्रमुख अधीक्षक से खास वार्ता।
(ए.एच.एम एंड डफरिन चिकित्सालय कानपुर नगर)
लॉक डाउन के चलते समस्त देश बंद था। परंतु प्रशासन द्वारा लॉक डाउन के चलते कई संस्थानों को खोला गया है, और कोशिश की जा रही है की देश के लोगों की जिंदगी वापस पटरी पर आ जाए। बावजूद इसके कि दिन-प्रतिदिन कोरोनावायरस की संख्या में अपार वृद्धि हो रही है।
उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर में ए.एच.एम एंड डफरिन चिकित्सालय स्थित है। जहां खासतौर पर गर्भवती महिलाओं का इलाज होता है। कोरोना वायरस के प्रकोप से अस्पतालों में ओ.पी.डी बंद कर दी गई थी और कई अस्पतालों को कोरोना हॉस्पिटल बना दिया गया था। परंतु प्रशासन के आदेश के बाद अब अस्पतालों में ओ.पी.डी चालू कराई गई हैं। जिसके चलते एंटी करप्शन इंडिया के संपादक अतहर हुसैन और राजेश कुमार सब ब्यूरो चीफ कानपुर ने ए.एच. एम एंड डफरिन चिकित्सालय कानपुर नगर के प्रमुख अधीक्षक डॉ. वी.बी सिंह से की प्रमुख वार्ता।
प्रमुख अधीक्षक डॉक्टर वी बी सिंह ने बताया की ओ.पी.डी चालित होने के बाद अस्पताल में मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है। गर्भवती महिलाएं खास तौर पर आती है। कोरोना के चलते प्रशासन ने तकरीबन सारी सुविधाएं चालू कर दी है।
* उपचार कराने जो मरीज़ आते हैं उनमें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं होता, जिसके कारण बाहर ओपीडी प्रांगण में टेंट लगवाया गया है। जिससे मरीज वहां बैठते हैं और अपना नंबर आने पर डॉक्टर से इलाज पाते हैं। और सोशल डिस्टेसिंग का पालन हो सके। हमारे अस्पताल में जनपद कानपुर के अतिरिक्त और भी आसपास क्षेत्र के कई मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं। सोशल डिस्टेंसिंग और संख्या को कम करने के लिए तीमारदारों का प्रवेश वर्जित किया गया है जो ओ.पी.डी मरीजों के साथ आते हैं।
* छोटे बच्चों का टीकाकरण अभी प्रारंभ कर दिया गया है। जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन कराते हुए टीकाकरण करा जाता है।
* प्रसव की बात की जाए तो जो गर्भवती महिलाएं हैं जिनका पूर्व में प्रसव हो चुका है उनके लिए डॉक्टरों से कहा गया है। जिन की सर्जरी द्वारा प्रसव होना है वह 1 सप्ताह पहले आ जाएं और अपनी कोविड-19 की जांच करालें, और फिर चिकित्सालय में भर्ती रहे जब तक उनका पुन्हा ऑपरेशन नहीं हो जाए।
* ओपीडी कार्य में लाने के बाद मरीजों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। जिसके चलते कोविड-19 पुष्टि होने पर उन्हें मेडिकल कॉलेज भेजा जाता है। सामान्य रोगियों का सारा इलाज हमारे यहां होता है। जिस पर शासन प्रशासन का हॉस्पिटल और डॉक्टर्स को पूर्ण सहयोग मिल रहा है।
* जो मरीज इलाज कराने अस्पताल आ रहे हैं उनमें सोशल डिस्टेंसिंग करवानी सबसे बड़ा चैलेंज रहता है। कई मरीज मास्क नहीं पहनते हैं। जिसके चलते अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा उनसे कहा जाता है कि वह मास्क का प्रयोग करें और मास्क पहन के ही रहे जिससे वह कोरोना वायरस की चपेट से बच सकें। परंतु पाया यह गया है की महिलाएं मास्क का प्रयोग ना कर, कर अपनी साड़ी का पल्लू कभी मुंह पर रख देती है तो कभी नहीं रखती जो कि अन्य लोगों के लिए घातक साबित हो सकता है।