500 केस थे तो सब बंद था, 1,82,000 केस हो गए तो सब खोल दिया

*500 केस थे तो सब बंद था, 1,82,000 केस हो गए तो सब खोल दिया*


 


01/06/2020 मो रिजवान 


 


कोरोना का अलर्ट जारी हुआ. एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग का आदेश हो गया. उसके बाद करीब 80 लाख लोग देश में आए. मात्र 15 लाख की स्क्रीनिंग हुई. लेकिन सरकार चूंकि बहुत मजबूत है, फैसला कड़ा लेती है, इसलिए जो भी सड़ा है, उस पर ताली बजाइए, क्योंकि हर फैसला कड़ा है. कड़े फैसले के सड़े नतीजे पर कुछ मत पूछिए. तारीफ कीजिए. इसके ​अलावा कोई विकल्प नहीं है. 500 केस थे तो सब बंद हुआ. एक लाख 82 हजार केस हो गए तो सब खोल दिया.



क्यों बंद किया, क्यों खोल दिया, क्या योजना थी, क्या लक्ष्य था, क्या हासिल हुआ, यह सब मत पूछिए. तब भी ताली बजाई थी, अब भी ताली बजाना है. ताली ही आपका नसीब है.


 


डॉक्टरों के तीन संगठनों ने मिलकर बयान जारी किया है कि लॉकडाउन को लेकर, मजदूरों को लेकर, मेडिकल तैयारियों को लेकर सरकार की शुरुआती रणनीति खराब थी और सरकार अपने देश के विशेषज्ञों की बात नहीं सुनी, विदेशी विशेषज्ञों की बात सुनी. अब यह बीमारी और खतरनाक होने जा रही है.


 


लब्बोलुआब यह है कि श्रीमान आत्मनिर्भर कुमार अपने देश की समस्याओं के बारे में अपने ​ही विद्वानों की नहीं सुनते. इसी चक्कर में इकोनॉमी डूबी है और इसी चक्कर में देश में तबाही मची हुई है.


 


(ये लेख कृष्णकांत की फेसबुक वाल से साभार लिया गया है )


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