लॉक डाउन से मजदूर या फिर वह तबका जो रोजाना अपनी दिहाड़ी बनाता था। पूरी तरह परेशान और हताश हो चुका है। जिसके चलते अलग-अलग राज्यों से मजदूरों ने पलायन करना शुरू कर दिया है।
सरकारी दावे हैं की सरकार ऐसे लोगों मजदूरों के लिए कार्य कर रही है परंतु शहरों से दूर जो रास्तों पर सड़कों पर रेल की पटरियों पर लाखों की तादाद में मजदूर मिल रहे हैं उनका कहना यही है की सरकार की कोई भी मदद उन्हें प्राप्त नहीं हो रही है।
उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर के अंतर्गत जाजमऊ चुंगी के आगे कल रात 2:30 से 3:00 बजे सैकड़ों मजदूरों को देखा गया है जो मुंबई से गोरखपुर और बिहार ट्रकों में भरकर जा रहे थे। किसी भी ट्रक में सोशल डिस्टेंसिंग नजर नहीं आई, कई कई लोग इकट्ठा होकर ट्रक के अंदर बैठे थे व कई मजदूर सड़कों पर आराम कर रहे थे क्योंकि वह थक गए थे।
आराम कर रहे मजदूरों से हमारे कानपुर ब्यूरो चीफ आशू यादव ने बात करी और जानने की कोशिश करी की उन्हें सरकार द्वारा क्या-क्या लाभ प्राप्त हो पा रहे हैं पर मौजूदा मजदूरों का कहना यही था कि किसी तरह का कोई लाभ हमें प्राप्त नहीं हो रहा है सरकार द्वारा।
खाने पीने की इतनी ज्यादा तंगी हो गई है जिसके साथ अब जीना मुश्किल है साथ ही मजदूरों ने यह भी बताया की हम अकेले शहरों में कमाते हैं और परिवार गांव में खाता है जब शहर से कमाई खत्म हो गई तो गांव में परिवार क्या खाएगा। यह तमाम सच्चाई देखने के बाद सड़क पर जा रहे कई ट्रक रात में दिखे जिसके अंदर लोग मौजूद थे और ज्यादातर लोग गोरखपुर जा रहे थे और कुछ लोग बिहार।
रात में 2:30 - 3:00 बजे प्रशासन की एक गाड़ी भी गुजरी परंतु किसी ने कोई रोक-टोक नहीं की और ट्रकों के अंदर जा रही भीड़ में जो सोशल डिस्टेंस नहीं देखने को मिली उसके लिए भी कुछ नहीं कहा गया। लोगों का साफ तौर पर कहना था की कोरोनावायरस से मरे या ना मारे परंतु बेरोजगारी और भूख से जरूर मर सकते हैं।