पहले सरकार ने कहा- स्पेशल ट्रेन में नहीं देना होगा किराया, फिर रास्ते में मजदूरों से वसूल लिए गए खाने और टिकट कै पैसै

*पहले सरकार ने कहा- स्पेशल ट्रेन में नहीं देना होगा किराया, फिर रास्ते में मजदूरों से वसूल लिए गए खाने और टिकट कै पैसै*


03/05/2020  मो रिजवान


लॉकडाउन के बीच दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों और छात्रों के लिए स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं। पहली ट्रेन तेलंगाना से झारखंड के लिए चली। उसके बाद राजस्थान और महाराष्ट्र से भी ट्रेनें मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड के लिए रवाना हुईं। पहले ये कहा गया था कि इन ट्रेनों से सफर करने वाले लोगों से किराया नहीं वसूला जाएगा। लेकिन स्पेशल ट्रेनों में सवार लोगों से अब किराए भी वसूले जा रहे हैं। जनसत्ता की खबर के मुताबिक महाराष्ट्र के नासिक से भोपाल पहुंचे प्रवासियों ने बताया कि भोपाल पहुंचने से पहले ही उनसे 305 रुपये के टिकट के एवज में 315-315 रुपये प्रति यात्री वसूल किए गए। मजदूरों का कहना है कि उन्हें कहा गया था कि पैसे नहीं लिए जाएंगे और फ्री में उन्हें भोपाल तक पहुंचाया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हालांकि, यात्रियों को बीच ट्रेन में खाना भी परोसा गया था।



पहले कहा गया था कि स्पेशल ट्रेन के यात्रियों से कोई किराया नहीं वसूला जाएगा। केंद्र सरकार ने इसके लिए एक दिशा-निर्देश भी जारी किया था जिसमें इन छह ट्रेनों के लिए यात्री किराए का खर्च या तो जिस राज्य से प्रवासी जा रहे हैं वहां की सरकार वहन करेगी या तो जिन राज्यों में ये प्रवासी जा रहे हैं, वहां की सरकार करेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। रेलवे ने इन छह ट्रेनों में स्लीपर क्लास के किराये के अलावा 30 रुपये का सुपर फास्ट चार्ज भी लगाया है। 20 रुपए टिकट के नाम पर भी वसूले गए हैं। इन पैसों के एवज में खाना उपलब्ध कराने की सुविधा भी शामिल है


बता दें कि शुक्रवार को छात्रों और मजदूरों के लिए छह स्पेशल ट्रेनें चलाईंं गईं। पहली ट्रेन तेलंगाना के लिंगमपल्ली स्टेशन से झारखंड के रांची में हटिया स्टेशन तक चलाई गई। इनके अलावा केरल के अलुवा से ओडिशा के भुवनेश्वर, महाराष्ट्र के नासिक से यूपी के लखनऊ, नासिक से भोपाल, राजस्थान के जयपुर से बिहार के पटना और राजस्थान के कोटा से झारखंड के रांची तक स्पेशल ट्रेन शामिल थी।


यात्रियों के ट्रेन में सवार होने से पहले उनकी थर्मल स्क्रीनिंग की गई और उन्हें प्रोटेक्टिव गियर्स दिए गए। ट्रेनों में सोशल डिस्टेंसिंग का भी ख्याल रखा गया और एक कोच में सिर्फ 54 यात्रियों को ही बैठने की इजाजत दी गई। यात्रियों को रास्ते के लिए भोजन और पानी भी उपलब्ध कराया गया था। हालांकि, इसके चार्ज भी टिकट में जोड़े गए थे।


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