मजबूर मजदूर कहीं पर विवश होकर रो पड़ा, तो कहीं दिखा मजदूरो का उग्र रूप।

लॉक डाउन ने मजदूरों को मजबूर बना दिया है। बेसहारा असहाय बेबस मजदूर अब अपनी दास्तान बताते बताते रो देते हैं। 



आज जमीनी हकीकत दिल दहला देने वाली है जहां पर समस्त देश में करोड़ों मजदूर लॉक डाउन के बाद बेरोजगार हुए हैं। बड़े शहरों में काम करने आए मजदूरों के पास ना तो अब रोजगार बचा है और ना ही खाने के लिए पैसे। ‌ जो किराए के घर थे उन घरों में रहने के लिए पैसे नहीं है जिसके चलते वह किराया भी नहीं चुका सकते। इन सब चीजों से परेशान होकर मजदूरों ने अपने गांव शहरों की तरफ पलायन करना शुरू कर दिया है।



तमाम तस्वीरें जो सामने आ रही है उसमें साफ तौर पर यह देखने को मिल रहा है की प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकारे जितने भी दावे कर रही हैं, जमीनी स्तर पर मजदूर उन सुविधाओं से वंचित है। ‌


यह तस्वीर जो हम सब देख रहे हैं इन परिस्थितियों में एक नई तस्वीर अब सामने उभर कर आ रही है जिसमें मजदूरों ने उग्र रूप भी धारण करना शुरू कर दिया है। गुजरात से ऐसी तस्वीरें सामने आई है जिसमें यह देखने को मिल रहा है कि परेशान मजदूरों ने सड़क पर जा रहे ट्रक और गाड़ियों पर हमला पर उनको नुकसान पहुंचाया है।


मौके पर शासन प्रशासन ने पहुंचकर मजदूरों पर नियंत्रण प्राप्त किया परंतु अब यह तस्वीरें देखने के बाद यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि मजदूर अब संघर्ष पर आमादा है। देश का मजदूर और ज्यादा उग्र ना हो जाए जिसके लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार को यह देखना जरूरी होगा की वह मजदूरों को उनके गांव घर जल्दी सलामती से पहुंचा दें।


सरकार जो भी कार्य कर रही है विपक्ष और कई बड़े लीडर्स साफ तौर पर यह कह रहे हैं कि इन परिस्थितियों से निबटने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार विफल है।


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