दिल्ली:-
पूरे देश में हजारों की तादात में कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों के आंकड़े सामने आ रहे हैं। जिसके चलते सैकड़ों ऐसे लोग थे जो कोरोनावायरस की चपेट में आकर मरे हैं। शासन प्रशासन कोरोना वायरस से निपटने के लिए अलग-अलग प्रयास कर रही है परंतु अभी तक किसी तरह की कोई दवा इसके लिए नहीं बन पाई है।
कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या भी दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। जिसके चलते सरकार के साथ-साथ जनता भी चिंतित है। इस सबके चलते कुछ ऐसे तथ्य और सच्चाई अब सामने आ रही है जो सरकार के ऊपर कई तरह के प्रश्न खड़े करती है।
हम बात कर रहे हैं राजधानी दिल्ली की, जहां पर सरकार के 4 बड़े अस्पताल जिनमें लोकनायक अस्पताल, राम मनोहर लोहिया अस्पताल, लेडी हार्डिंग मेडिकल हॉस्पिटल और दिल्ली जर्जर सेंटर ऐम्स। यह चार अस्पताल राजधानी दिल्ली में कोविड-19 के मरीजों के आंकड़े एकत्र करते हैं और सरकार के साथ साझा करते हैं।
इन चारों बड़े अस्पतालों के डॉक्टर्स की एक कमेटी है जिसके अंतर्गत डॉक्टर सारे आंकड़े एकत्र करते हैं कितने मरीजों को कोरोना हुआ कितने मरे कितने स्वस्थ हुए प्रतिदिन के यह आंकड़े डॉक्टर की कमेटी द्वारा सरकार की एक कमेटी जो कोविड-19 है उनको साझा की जाती है। जिसके बाद सरकारी वेबसाइट पर यह आंकड़े जनता के लिए अपलोड कर दर्शाए जाते हैं।
हैरान कर देने वाली बात यह है की 2 दिन पहले तक के आंकड़ों में मरने वालों की संख्या डॉक्टर कमेटी द्वारा 116 थी। वही सरकारी आंकड़ों के अनुसार वेबसाइट के ऊपर यह आंकड़े 66 दर्शाए जा रहे थे।
इस सवाल को लेकर जब हॉस्पिटल्स के मेडिकल सुपरिटेंडेंट और मेडिकल डायरेक्टर से बात की गई तो उनका जवाब यह था कि आंकड़े हम सरकार के साथ प्रतिदिन साझा करते हैं। परंतु सरकार की वेबसाइट पर आंकड़ों में बड़ा झोल दिखता है। हमारे तहत 116 मरीजों की कोविड-19 से मृत्यु हो चुकी है परंतु सरकार 66 ही दर्शा रही है। इस संदर्भ में हमने सरकार से कई बार बताया है कि आपकी वेबसाइट पर आंकड़े ठीक नहीं दर्शाए जाते जिस पर सरकार चुप्पी साधे हुए हैं।
कुछ ही दिन पहले मीडिया के सवाल पूछने पर स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने यह कहा था कि सरकार आंकड़े क्यों छिपाएगी सरकार को इससे क्या फायदे हैं। परंतु अब यह आंकड़े सामने आने के बाद जब मीडिया ने स्वास्थ्य मंत्री से प्रश्न पूछने चाहे और मिलना चाहा तो अभी सत्येंद्र जैन उपलब्ध नहीं है और मीडिया अब सत्येंद्र जैन के मिलने का इंतजार कर रही है। इंडियन एक्सप्रेस ने भी अपने अखबार में इस मृतक संख्या के ऊपर नीचे होने के मामले को छापा है।
कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या को छुपाने का यह सरकार का कार्य अपने आप में कई सवाल खड़े करता है। कि आखिर क्या वजह है जिससे सरकार सही आंकड़े जनता से साझा नहीं कर रही है। अगर वाकई में इतनी खराब परिस्थितियां हैं तो सरकार ने शराब के ठेके खोलने वह इस तरह की चीजों पर इतना ढीला रवैया क्यों इक़्तियार किया, यह अपने आप में एक सवाल है?