आरबीआई के निदेशक ने सरकार के राहत पैकेज पर उठाए सवाल
22/05/2020 मो रिजवान
भारतीय रिजर्व बैंक के एक निदेशक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे सतीश काशीनाथ मराठे ने मोदी सरकार के राहत पैकेज पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने इस पैकेज को एक नजरिए से विफल भी बताया है. उनका कहना है कि एनपीए जैसी चीजों को राहत पैकेज का हिस्सा होना चाहिए था.
उन्होंने कहा है कि तीन महीने का मोरेटोरियम काफी नहीं है और एनपीए में नरमी को राहत पैकेज का हिस्सा होना चाहिए था.
उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि राहत पैकेज अच्छी और प्रगतिशील सोच वाला है. लेकिन यह अर्थव्यवस्था को उबारने में अग्रिम योद्धाओं के रूप में बैंकों को शामिल करने के मामले में विफल रहा है. तीन महीने का मोरेटोरियम पर्याप्त नहीं है. एनपीए प्रोविजनिंग में नरमी आदि राहत पैकेज का हिस्सा होना चाहिए था ताकि भारत को एक बार फिर तरक्की के रास्ते पर ले जाया जा सके.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार राहत पैकेज से मांग बढ़ने की उम्मीद कम है, क्योंकि इसमें सप्लाई साइड पर जोर दिया गया है. मराठे ने बैंक ऑफ़ इंडिया से अपने बैंकिंग करियर की शुरुआत की थी. वह सहकारी क्षेत्र में काम करने वाले एनजीओ सहकार भारती के संस्थापक भी हैं. यह वास्तव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा एक स्वयंसेवी संगठन है.
गौरतलब है कि कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी है. जिसे बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रूपये के राहत पैकेज की घोषणा की थी.