किसानों पर लॉक डाउन का कहर! नहीं मिलती कोई मदद।

उत्तर प्रदेश कानपुर देहात:-


लॉक डाउन के बाद समस्त देश के लोगों में एक आसहायता का भाव देखने को मिल रहा है। करोड़ों लोगों को यह चिंता है कि लॉक डाउन के बाद बंद हुए कारोबार में उनका घर कैसे चलेगा। लॉक डाउन के चलते करोड़ों लोग बेरोजगार हुए हैं। जिनके पास फिलहाल कोई रोजगार नहीं है और स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि उनके खाने के लिए दो वक्त की रोटी भी मुश्किल जूट पाती है।



उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात फूलपुर गांव की यह तस्वीर जिसे देखकर कई सच्चाईयां सामने आई हैं। जहां सरकार यह दावे कर रही है की देश के हर गरीब और जरूरतमंद की जरूरतें पूरी की जा रही हैं। वहीं कई ऐसे गांव कस्बे और करोड़ों संख्या में लोग भी हैं। ‌ जो इन सब सुविधाओं से अछूते हैं। 



कानपुर देहात के फूलपुर गांव में समस्त गांव या तो फूलों की खेती करता है या फिर सब्जियों की खेती। परंतु लॉक डाउन के बाद गांव के लोग बहुत परेशान हैं क्योंकि ना तो वह फूल व सब्जियां शहरों तक ले जा पा रहे हैं। और ना ही उन्हें बेचकर कोई धन प्राप्त कर पा रहे हैं। 


गांव के लोगों का यह कहना है की अब खेतों में सिंचाई भी करने के पैसे नहीं बचे हैं और खेतों में खड़े फूल व सब्जियां सड़ने के कगार पर हैं। गांव वालों का कहना है फूल व सब्जियां जब शहर की तरफ वह ले जाने का प्रयास करते हैं तो पुलिस उन को खदेड़ देती है। जिसके चलते उन्हें भारी नुकसान व दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।



गांव वालों का यह भी कहना है कि सरकार द्वारा मनरेगा योजना और उज्जवल योजना का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। जैसे उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा यह घोषणा की गई थी कि लॉकडाउन के चलते जरूरतमंद लोगों के खातों में ₹2000 डाले जाएंगे। परंतु लोगों का यह दावा है कि गांव के अंदर इन योजनाओं का लाभ गांव वासियों को नहीं मिल पा रहा है।


गांव वालों ने बताया कि गांव की समस्या के बारे में लेखपाल को अवगत करवाया जा चुका है। लोगों का कहना है कि गांव में किसी तरह का कोई खाना सरकार द्वारा मुहैया नहीं करवाया जा रहा है। लोगों ने बताया कि गांव में सिर्फ दो ही कारोबार होते हैं जिसमें या तो फूलों की खेती है या फिर सब्जियों की खेती और लॉक डाउन के चलते दोनों ही फर्स्ट पड़े हैं।


जनशक्ति ग्रुप के टीम लीडर आर एल गौड ने जानकारी देते हुए बताया कि इस गांव कि तहसील शोभन सरकार थाना सीवली के अंतर्गत आता है। परंतु सरकार को अवगत कराने के बावजूद भी गांव के लोगों को किसी तरह की कोई सुविधा प्राप्त नहीं हो पा रही है।


Featured Post

ट्रांसपोर्टोंरों कि आयोग गठन की मांग जायज: सुनील अग्रवाल

ट्रांसपोर्टोंरों को किसी भी तरह की कानूनी सहायता की जरूरत पड़े तो 24 घंटे तैयार: वेद भूषण शर्मा  सरकार 2 महीने में ट्रांसपोर्ट आयोग के गठन क...