भारत के अंदर बेरोजगारी को बहुत बड़े स्तर पर देखा गया है। काफी बड़ी संख्या मैं लोग बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। पिछले कुछ सालों में बेरोजगारी का स्तर बढ़ता ही गया है।
क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो के अनुसार 2018 में जो रिपोर्ट गृह मंत्रालय द्वारा साझा की गई है उसके तहत हर साल देश का 100000 या उससे भी ज्यादा युवा और युक्तियां बेरोजगारी के चलते खुदकुशी करते हैं।
बहुत बड़े स्तर पर यह भी देखने को मिला है कि बड़े-बड़े सरकारी संस्थान जो चल रहे हैं चाहे वह अस्पताल हो चाहे वह अन्य कंपनियां हो जिसमें कई कई महीनों से लोगों को तनख्वाह नहीं मिल पाई है जिन कंपनियों के साथ वह काम कर रहे हैं उन कंपनियों को सरकार ने पैसा नहीं दिया है जिससे वह अपने कर्मचारियों को दे पाए तनख्वाह।
ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के एक सरकारी अस्पताल उर्सला में देखने को मिला है जहां पर कर्मचारियों को पिछले एक डेढ़ महीने से तनख्वाह नहीं मिली है। जिसको लेकर कर्मचारी बहुत परेशान है और कभी वह अस्पताल के सीएमओ से बात करते हैं तो कभी किसी दूसरे अधिकारी से कर्मचारियों का कहना है कि कोई भी उन्हें संतुष्टि पूर्ण जवाब नहीं दे पा रहा है सब एक दूसरे पर डाल रहे हैं।
वही हमारे संवाददाता ने अस्पताल के सुपरिटेंडेंट डॉ शैलेंद्र तिवारी से बात की जिसमें डॉक्टर शैलेंद्र तिवारी ने बताया कि पैसा सरकार द्वारा अभी रिलीज नहीं हुआ है जिसके कारण यह असुविधा कर्मचारियों को हो रही है।
अब देखने वाली बात यह है इस बेरोजगारी के मौसम में क्या डेढ़ महीने से बिना तनख्वाह पाए लोगों को तनखा मिलेगी या नहीं यह कितना सरकार इसके ऊपर ध्यान देगी।