दिल्ली के उत्तर पूर्वी क्षेत्र जाफराबाद में हजारों की तादाद में सीएए और एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन


सीएए और एनआरसी के विरोध प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहे है। पूरे देश के अंदर तमाम राज्यों में अलग-अलग जगहों पर धरना प्रदर्शन जारी है धरना प्रदर्शन में अब ज्यादातर महिलाएं बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही हैं और एक तरह से नारी शक्ति का स्वरूप दिखा रही हैं।



राजधानी दिल्ली के अलग-अलग जगहों में सीएए और एनआरसी को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है। सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाला शाहीन बाग इतने विवादों में रहा जिसके बाद आज दिल्ली के अन्य जगहों पर भी सीएए और एन आर सी के विरोध प्रदर्शन को देखा जा सकता है।


दिल्ली के उत्तर पूर्वी क्षेत्र जाफराबाद में भी 41 दिनों से सीएए और एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन जारी है।
यह विरोध प्रदर्शन जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे सड़क के साइड में हो रहा था परंतु आज 23 फरवरी 2020 को प्रोटेस्ट कर रहे लोगों की संख्या में वृद्धि हुई। क्योंकि मौजपुर मैं सीएए और एनआरसी के समर्थन में भी लोगों ने प्रदर्शन किया।


दिल्ली के जाफराबाद में हो रहे सीएए एन आर सी के विरोध प्रदर्शन में हमने वहां उपस्थित महिलाओं से बात की और जानना चाहा की इस प्रोटेस्ट को वह कैसे देखती हैं और इस 41 दिन से प्रोटेस्ट जो चल रहा है उसको और आगे कहां तक लेकर जाएंगे।
वार्ता के दौरान महिलाओं ने बताया की प्रशासन की तरफ से कोई भी व्यक्ति उनसे संवाद करने नहीं आ रहा है और जो सीएए और एनआरसी कानून है उसके चलते उनकी नागरिकता छिन जाएगी।


महिलाओं ने यह भी दावा किया कि उन्होंने पूरे कानून को पड़ा है जिसमें संविधान का उल्लंघन है और धर्म के हिसाब से नागरिकता में पक्षपात होने की बड़ी संभावना है। महिलाओं ने असम का उदाहरण भी दिया जहां पर सरकार द्वारा डिटेंशन कैंप बनाए गए हैं। महिलाओं ने मीडिया के प्रति भी रोष जाहिर किया, कि मीडिया हाउसेस सही खबर नहीं दिखा रहे हैं जिसके चलते अब हम लोग मीडिया से भी रूबरू नहीं होना चाहते हैं।


हमने वहां कुछ अन्य महिलाओं से भी वार्ता करने का प्रयास किया परंतु उसमें हम ज्यादा सफल नहीं हो पाए क्योंकि वहां पर उपस्थित लोग मीडिया से संवाद करना उचित नहीं समझ रहे थे। धरना दे रहे लोगों ने कहा कि वह धरना तब तक नहीं खत्म करेंगे जब तक सरकार यह कानून वापस नहीं लेती है।


 


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