देश के अंदर आज भी रूढ़िवादी सोच जिंदा है समय-समय पर यह अपने जिंदा होने का सबूत देती रहती है।
रूढ़ीवादी सोच पुराने समय में ऊंच-नीच, जात पात, छुआछूत इन आधारों पर अपने को दर्शाती रही है।
पुराने समय में शुद्र व छोटी जाति के लोगों के साथ काफी अन्याय और उत्पीड़न होता रहा है। जिसके बाद डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखे गए संविधान के अंतर्गत देश में रहने वाले सभी नागरिकों को सामान अधिकार दिए गए और समानता का भी अधिकार दिया गया।
परंतु आज भी देश के कई राज्यों व गांव के अंदर यह देखने को मिलता है कि उच्च जाति के लोग अक्सर निम्न जाति के लोगों का शोषण करते हैं। उनको समान अधिकार नहीं प्राप्त हो पाते हैं। उन्हें अधिकारों से वंचित रखा जाता है।
ऐसी ही एक घटना उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात थाना गजनेर के अंतर्गत मंगता में देखने को मिली है जहां 1 फरवरी 2020 से 7 फरवरी 2020 तक बौद्ध कथा का आयोजन किया गया था। 8 फरवरी 2020 को भीम भोज की व्यवस्था कर लोगों को भीम भोज कराया गया।
12 फरवरी 2020 को डॉ भीमराव अंबेडकर के पोस्टर सवर्ण समाज के लोगों द्वारा फाड़ दिए गए। जिसके बाद भोजन आयोजकों ने स्वर्ण समाज के लोगों के प्रति थाने में शिकायत दर्ज करवाई।
शिकायत दर्ज करवाने के पश्चात 13 फरवरी 2020 को महिलाओं व बच्चों पर अत्याचार होना शुरू हुआ सवर्ण समाज के लोगों ने सामूहिक नरसंहार किया। जिसके बाद 28 लोग जख्मी हुए जिसमें अधिकतर महिलाएं और बच्चे हैं कई महिलाओं के हाथ पैर टूटे और सर फटा जिसमें एक छोटा बच्चा भी शामिल है, कई पीड़ितों के घरों को भी आग लगा दी गई। पीड़ितों को कानपुर के उर्सला अस्पताल में भर्ती कराया गया।
धनीराम पैंथर जी जो सामाजिक कार्यकर्ता हैं वह दलित वर्ग के लिए उत्तर प्रदेश में सकारात्मक कार्य कर रहे हैं वार्ता में धनीराम पैंथर ने बताया की क्रूरता करते लोगों का कहना था मुसलमान सलाम करता है और तुम जय भीम करते हो तो राम-राम कौन करेगा? धनीराम कैंसर ने यह भी कहा कि हमारा देश सेकुलर देश है जहां पर हर धर्म व जाति के लोगों को बराबरी का हक मिला है पर आज भी हमारे समाज में इस तरह की ओछी चीजें देखने को मिलती हैं।
धनीराम पैंथर ने बताया की पुलिस को सूचना देने के 15 मिनट बाद ही एसपी साहब घटनास्थल पर पहुंचे थे जिसके बाद अभी तक 15 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है 32 लोग नामजद हैं।
पुलिस का कहना है कि सभी दोषियों को जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा फिलहाल गांव में भय का माहौल है व कई थानों की पुलिस व पीएसी घटनास्थल पर मौजूद है।
धनीराम पैंथर जी ने बताया कि पीड़ितों में कुछ मुसलमान वर्ग के लोग भी शामिल हैं वह उन्होंने यह भी कहा कि आज के समय में दलित मुसलमान को मारना एक जानवर को मारने जैसा हो गया है। पूरे देश में मुसलमानों और दलितों के साथ ओझा व्यवहार किया जाता है। कुछ कुछ जगहों पर यह भी देखने को मिला है कि दलित अगर घोड़े पर चढ़ता है तो उसे उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।
धनीराम पैंथर जी ने यह भी कहा कि सरकार की तरफ से इस पर कोई भी बयान व टिप्पणी नहीं की गई है इस पूरी घटना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। क्या यह इस वजह से है कि यह घटना दलितों के साथ घटित हुई है?
धनीराम पैंथर जी ने यह भी कहा कि हिंदू हमें कहा जाता है और सबसे ज्यादा उत्पीड़न भी हमारे साथ होता है। ऐसी स्थिति को देखकर दलित का मन करता है कि वह अपना धर्म परिवर्तन कर बौद्ध धर्म को अपना लें।