सेवा सबसे पहले, आजकल के इस दौर में बहुत कम ऐसे लोग देखने को मिलते हैं, जो अपने से ज्यादा दूसरों के लिए सोचते हैं, और दूसरों के लिए कार्य करते हैं, यहां तक अपना सबकुछ लोगो और समाज के लिए दान कर देते हैं।
उत्तम पद पर होने के बाद भी ज़मीन से जुड़े एक ऐसे ही आईपीएस हैं रॉबिन हिबू।
ऐसे ही एक इंसानियत की मिसाल आईपीएस रॉबिन हिबू ने पेश की है। जब उन्हें लंदन की पार्लियामेंट में महात्मा गांधी पुरस्कार 2019 से सम्मानित करने के लिए आमंत्रित किया, परंतु इंडिया में मुंह बोली बहन का ऑपरेशन की वजह से वो लंदन नहीं गए बल्की यह इंडिया में रह कर सारी व्यवस्था करी व मदद करी।
जैसे कि हेल्पिंग हैंड संस्था पूरे हिंदुस्तान से करोड़ों लोग अपने साथ जोड़ने के बाद लोगों के लिए कार्य कर रही हैं, वही अब हेल्पिंग हैंड को ना केवल हिंदुस्तान बल्कि विदेशों में भी सराहा जा रहा है, और सम्मानित किया जा रहा है। जिसका एक नमूना इस साल लंदन में देखने को मिला।
हिंदुस्तान की हेल्पिंग हैंड संस्था को लंदन के पार्लियामेंट में आमंत्रित कर महात्मा गांधी अवॉर्ड 2019 से सम्मानित किया गया।
क्योंकि आईपीएस रोबिन हिबू हेल्पिंग हैंड संस्था के हेड भी हैं, इसलिए उनकी संस्था को मिले महात्मा गांधी अवार्ड 2019 को प्राप्त करने के लिए लंदन के पार्लिमेंट में उपस्थित होना था।
परंतु सेवा और सम्मान के आगे, आईपीएस रॉबिन हिबू ने सेवा को ही ऊपर रखा और चुना।
उनका कहना है सेवा ही पहचान है, जिसके चलते सेवा के लिए ही वह प्रतिबंध हैं। उन्होंने बताया,
सेवा सबसे पहले, हमेशा ..... ------------- - विशेष बहन के लिए कृत्रिम अंगों / अनुकूलित रिमोट कंट्रोल व्हील की महत्वपूर्ण व्यवस्था, अंतिम मिनट के लिए लंदन में अवार्ड सेरेमनी को स्किप करना, जिसे ऐम्स दिल्ली में संचालित किया गया था। कृत्रिम अंगों में एक एनआरआई अमेरिकी डॉ। नवनीत बुद्धिराज विशेषज्ञ भी संयुक्त राज्य अमेरिका के दोनों निचले पैरों के बेहतर अंगों के लिए दौरा कर रहे हैं। हेल्पिंग हैंड्स के विशेष अनुरोध पर वह यूएसए से उड़ान भर रही है। - मेरी ओर से ब्रिटिश संसद में पुरस्कार प्राप्त करने के लिए, हेल्पिंग हैंड्स के एक प्रमुख सदस्य - सिद्धांत साहब, को नामित किया गया। - अवॉर्ड सेरेमनी के दौरान बजाए जाने वाले हेल्पिंग हैंड नोगो की ओर से लंदन में वीडियो मैसेज भी भेजें। रॉबिन हिबू आईपीएस दिल्ली। वेबसाइट - www.hhhelp.org
जिसके बाद आईपीएस रॉबिन हीबु ने पत्र लिखा और अपने उपस्थित ना होने का कारण लंदन में संस्थान को बताया।