• कहीं पर जय श्री राम बोलने की धमकी नजर आई, तो कहीं धर्म के नाम पर कोई कट्टरता सेंध नहीं लगा पा रही है।
• नजर आ रहे थे हथियारों से लैस हिंदू धर्म को बचाने का दावा करने वाले लोग।
• कहीं पर नजर आया हिंदू मुसलमान का ऐसा मेल कि 45 साल से कोई कट्टरता उस भाईचारे में सेंध नहीं लगा पाई।
दशहरे के उपलक्ष में दिल्ली में कई जगह हिंदू वाहिनी और कई जगह हिंदू रक्षा दल के संगठन के लोगों को रैली निकालते देखा गया है। जिन रैलियों में लोग हथियारों से लैस सैकड़ों की तादात में सड़क पर नारेबाजी करते दिखाई दिए, यह कहा जाए एक तरह से धमकाते हुए दिखाई दिए।
नारों में गूंज रहा था एक ही वर्ग विशेष का नाम और दूसरे सभी धर्मों को एक तरह से चुनौती दी जा रही थी, या कहा जाए कि धर्मनिरपेक्ष हिंदुस्तान को यह एहसास दिलाया जा रहा था, कि वह अब धर्मनिरपेक्ष नहीं रहा।
इन नारों में हिंदू धर्म के अलावा बाकी सभी धर्मों को एक चेतावनी रही, नारों में सुनने को मिला ( अगर हिंदुस्तान में रहना होगा... जय श्री राम कहना होगा) , (जो ना बोले जय श्री राम... उसको भेजो पाकिस्तान) आदि।
इस तरह के भड़काऊ और जबरन नारे सैकड़ों की तादाद में लोग सड़कों पर लगा रहे थे। हुड़दंग मचाते यह लो हिंदू धर्म का ह नहीं जानते परंतु धर्म के नाम पर कैसे दूसरे समुदायों और भाईचारे में सेंध लगानी है भली-भांति जानते हैं।
जहां धर्म के नाम पर और जय श्रीराम के नारे लगवाने के नाम पर लिंचिंग की तमाम वारदातें देखने को मिली है वहां भीड़ ने कोई धर्म नहीं देखा।
भीड़ ने पहलू खान को भी मारा और भीड़ ने सुबोध कुमार को भी मारा। लेकिन यह धर्म के नाम पर समुदाय को भड़काने का काम कर रहे लोगों की बातों में भोले-भाले लोग फंस जाते हैं जिसके बाद वह आपत्तिजनक कार्य कर देते हैं।
हिंदू धर्म उदारता सिखाता है भाईचारा सिखाता है त्याग सिखाता है हिंदू धर्म के अंदर कभी भी यह नहीं सिखाया गया किसी को जबरदस्ती धमकाया जाए या किसी वर्ग विशेष को डराया जाए।
दिल्ली में कई जगह ऐसी रैलियां देखने को मिली। वही इसका उलट हिंदू मुस्लिम भाईचारा भी देखने को मिला।
गाजियाबाद से 20 किलोमीटर दूर छोलस गांव में दशहरे का महोत्सव मनाते हुए ऐसा पार भाईचारा देखने को मिला जिसकी कल्पना आज के माहौल में नहीं की जा सकती थी।
इस गांव के अंदर 9000 लोग रहते हैं जिसमें से 80% लोग मुसलमान समुदाय के हैं। और इस गांव में दशहरा बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया। और हिंदू समुदाय के लोगों को पूरा सहयोग दिया गया। जहां हिंदू समुदाय की श्री राम जी की रैली निकल रही थी उसमें मुसलमानों द्वारा रैली का स्वागत किया गया साथ ही रैली में आ रहे लोगों को शरबत और पानी मुसलमान समुदाय द्वारा पिलाया गया।
इस पर्व के त्यौहार पर गांव के अंदर ना तो भारी मात्रा में कोई सुरक्षा बल ना पुलिसकर्मी ना कोई प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहा। मुस्लिम समुदाय के शिया लोगों की मजलिस का समय हो गया था उस समय हिंदू समुदाय की रामलीला की रैली निकलने की जिसके बाद मुस्लिम शिया समुदाय के लोगों ने अपनी मजलिस का टाइम बढ़ा दिया। और रैली का स्वागत करा और रैली में आ रहे लोगों को शरबत व पानी पिलाया। मजलिस बाद में करी।
45 साल से हो रहे दोनों समुदाय के त्यौहार में कभी ऐसा नहीं देखने को मिला कि दोनों समुदायों के बीच किसी भी तरह का तकरार या तनाव हुआ हो। रामलीला कमेटी के अध्यक्ष से बात करने पर उन्होंने बताया हमारे मुसलमान भाई हमारा बहुत सहयोग करते हैं यहां तक कि रामलीला के दौरान चंदे से भी सहयोग करते हैं।
दोनों समुदाय के लोग बहुत खुश थे और उन्होंने कहा कि यह भाईचारे की ही बात है दोनों ही धर्म भाईचारा अमन सुकून का पैगाम सिखाते हैं जिसके चलते कोई भी कट्टर वादी सोच या लोग अभी तक हमारे भाईचारे को सेंध नहीं लगा सके है।